मै फिर से जीना चाहता हूँ
मुझे फिर से जीने दो
मै कब्र में कैद हम बरसों से
स्वार्थ की आदत का जहर
न मुझको आसरा दो अब
ना मुझको वास्ता दो अब
मै रास्ता जानता हूँ
अब मुझे खुल कर के उड़ने दो
मुझे फिर से जीने दो
मै कब्र में कैद हम बरसों से
स्वार्थ की आदत का जहर
यहाँ भरती है ये दुनिया
मेरे मासूम जीवन मेंन मुझको आसरा दो अब
ना मुझको वास्ता दो अब
मै रास्ता जानता हूँ
अब मुझे खुल कर के उड़ने दो
मुझे उस मुल्क जाना है
जहाँ पंछी चहचहाते हैं
जहाँ मौसम बदलते हैं
जहाँ सब लोग जिन्दा हैं
जहाँ पंछी चहचहाते हैं
जहाँ मौसम बदलते हैं
जहाँ सब लोग जिन्दा हैं
मेरी बंजर किताबों में
मेरे खाली से सपनो में
मेरे खाली से सपनो में
मेरी बेरंग दुनिया में
मुझे कुछ रंग भरने दो
मुझे बस खुल के उड़ने दो
मुझे बस खुल के उड़ने दो
मुझे कुछ रंग भरने दो
मुझे बस खुल के उड़ने दो
मुझे बस खुल के उड़ने दो
No comments:
Post a Comment