Tuesday, 30 October 2012

मुझे बस खुल के उड़ने दो

मै फिर से जीना चाहता हूँ 
मुझे फिर से जीने दो 

मै कब्र में कैद हम बरसों से 
स्वार्थ की आदत का जहर 
यहाँ भरती है ये दुनिया 
मेरे मासूम जीवन में

न मुझको आसरा   दो अब
ना मुझको वास्ता दो अब
मै रास्ता जानता हूँ
 अब मुझे खुल कर के उड़ने दो 

मुझे उस मुल्क जाना है
जहाँ पंछी चहचहाते हैं
जहाँ मौसम बदलते हैं
जहाँ सब लोग जिन्दा हैं


मेरी बंजर किताबों में
मेरे खाली से सपनो में 
मेरी बेरंग  दुनिया में
मुझे कुछ रंग भरने दो

मुझे बस खुल के उड़ने दो
मुझे बस खुल के उड़ने दो 

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