Saturday 4 June 2016

मथुरा का राम वृक्ष - जड़ से छाया तक

                                       रामवृक्ष यादव और उनके गुर्गो  ने लगभग 200 एकड़ सरकारी जम्मीन पर कब्ज़ा किया , जमीन शहर  के एकदम बीच में थी ,  जिलाधिकारी  बंगले  से नजर  की दूरी में थी , कचहरी  के पास से रास्ता जाता था | इस रामवृक्ष ने एक CULT जैसा बनया हुआ था खुद को नेता जी सुभाष चन्द्र  का अनुयायी बताता था , प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति के अधिकार  को मानाने  से इनकार करता था , संविधान में इसकी आस्था नहीं थी | बताया जाता है की इसने कब्ज़ा की हुयी जमीन के रस्ते में कहीं चुंगी जैसा कुछ लगा रखा था , आते जाते लोगो से उनकी भारतीय  नागरिकता का सबूत माँगा जाता था| जवाहर बाग़ जो की जमीन इसने कब्ज़ा कर राखी थी उसमे आने जाने वाले लोगो से ये गेट पर एंट्री अक्र्वाता था , अन्दर एक कैंटीन  जैसा कुछ चलता था जिसमे 300 -400 लोगो  को खाना  खिलाया जाता था और घरेलु  जरुँरतो की चीजो  को बाजार  भाव से कम में बेचा जाता था |यहाँ की भीड़ बढ़ने के लिया आस पास के इलाको से गरीब और बेघर लोगो  को जमीन और झोपड़ी दी गयी , उनको खाना दिया जाता था | इसके गुर्गे हथियार बंद थे और प्रशासन से लड़ने की तयारी में थे | इसको मानने वाले कौन थे ये मुझे पता नहीं पर बात चित सुन के लगता है की मुरख जरुर रहे होंगे , जो लोग इस बात पर भरोसा कर ले की एक शक्श जिसकी औकात  भारतीय प्रशाश्निक व्ययवस्था के आगे भुनगे भर की नहीं वह अपनी सत्ता आने पर 10 रु में 40 लीटर डीजल बेचेगा और सोने के सिक्के चलवाएगा , सोना 12 रुपये टोला बिकेगा उसे समझदार मै  नहीं मान सकता | यह तो तय है की उसको इतना सब करने के लिए कहीं से पैसा मिल रहा था , कहीं से बढ़ावा मिल रहा था वो कौन लोग थे जो इस  CULT के पीछे छुपे हुए था , उनका क्या उद्देश्य था इसका पता लगा पाना मुश्किल ही नामुमकिन होगा | हनव नजदीक आते हैं तो ऐसे कई ढोंग बनते बिगड़ते रहते हैं |
ये सब देख के लगता है कितना आसन है सी देश में CULT बन जाना | उलजलूल की अतिवादी बाते करिये , इन बातो के प्रेरणा में किसी महापुरुष का नाम या धर्म का आवरण धन्किये , कुछ राजनीतिक संरक्षण और पैसा बस बन गया आपका  अपना CULT , अब आप स्वतंत्र हैं कुछ भी करने को | इसे पूर्व हरियाणा में भी ऐसे ही दो  CULT बाबा  टाइप लोगो ने सरकार से लडाई लड़ी थी , रामवृक्ष ने जल्दी कर दी नहीं तो वह भी दो चार दिन लडाई लड़ सकता था | खैर है की ये रामवृक्ष हिन्दू धर्म का था , मुस्लिम नहीं था वरना आतंकवादी और देशद्रोही कहते ईसको , हालाँकि इसने खुले शब्दों में संविधान पर अविश्वास प्रकट किया है पर इसको अभी तक देशद्रोही नहीं कहा गया , इसकी modus oprandi  नक्सलियों जैसी नहीं लगती क्या आपको ? देश के सबसे बड़े प्रदेश में राजधानी दिल्ली से लघभग ७ घंटे की दुरी पर मथुरा में  कोई भी पूरी व्यवस्था को धता बता के खुद का शाशन शापित कर लेता है और 2 साल तक कोई कठोर कार्यवाही नहीं होती | कार्यवाही करने में उत्तर प्रदेश पुलिस के दो अधिकारी  शहीद हो जाते हैं और मुख्यमंत्री जी मुआवजा घोषित कर के मुक्ति पा जाते हैं | पहले इस हद तक बढ़ावा दिया जाता है की पुलिस को कार्यवाही करने न दी जाये फिर जब पानी सर के ऊपर हो जाए तो पुलिस  को आगे बढ़ा दिया जाए | यदि इनके पास हथियार नहीं होते या पुलिस ने पहले गोली चलायी होती और कोई  बची या महिला को गोली लगती तो हम सब पुलिस को गलिय दे रहे होते की देखो कितने जालिम लोग हैं निहाठे बचाओ पर गोली चला दी |  भले ही ये निहाठे महिलाओ बछो की आड़ में कोई अरबो की जमीन कब्ज़ा कर के हथियार बंद सत्याग्रह चलाता रहे | इस सत्याग्रह के सत्य में लालच , राजनीती और चुतियाप से अधिक कुछ सच  नहीं है | इसके इतर जो सच है वो कटु है  दुखद है की पुलिस वालो को जान गंवानी  पड़ी| बधाई जो मथुरा के नागरिको को इन सब से मुक्ति मिलने की , साधुवाद है उन सबका सहयोग के लिए |
इसके आगे क्या लिखा जाये क्या कहा जाये –बाकि जो है सो है ही |

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