भारत सरकार ने Intellectual Property Right केविषय में अपनी नीति स्पष्ट कर दी है, कैबिनेट नेभी इसको मंजूरी देदी है - अलगअलग समूहों केअलग अलग मत हैं-
एक वेबसाइट THEWIRE.IN का कहना है की , जिस समिति ने इस नीति का ड्राफ्ट तैयार किया , क्या उसने तथ्यों का पूरा विश्लेषण किया है ? इस समिति द्वारा किये गए मूल्यांकन भी स्पष्ट नहीं है | यदि समितिनेसभी सवालो कोठीक से संबोधित किया होता तो यह कहा जा सकता है की एकमजबूत नीति कीअव्य्श्यकता है आविष्कारो को बढ़ावा देने के लिए | THEWIRE आगे पेटेंट स्ट्रेटेजी में खामिया, हाई वोल्टेज प्रोपोगंडा और पश्चिमी देशो केदबाव के बारेमें भी लिखता है |
प्रधानमंत्री मोदी जी ने पिछले वर्ष नवम्बर में यूनाइटेड Kingdom की यात्रा के दौरान वहां व्यापारियों से Intellectual Property Right के विषय में नीति बनाने का वादा किया था | भारत सरकार ने नीति कोअधिकारिक तौर परमंजूरी भी प्रधानमंत्री कीअमरीका यात्रा केपहले दे दी है | इससे पश्चिमी देशो के दबाव का तर्क देनेवालो को बल मिलता है की उनकेव्यपारियो कोवादाकरके नीति बनायींगयी, क्या भारतीय बाज़ार, आविष्कारक भीइसका लाभउठा पाएंगे ?क्या भारतीय जनता को इस नीति का कुछ लाभ मिलेगा या नयी चीजे महंगी बिकेंगी ?
इस सबंध मे श्रीमती निर्मला सीतारमण के मंत्रालय की वेबसाइट पर पूरी जानकारी उपलब्ध है (http://dipp.gov.in/English/Schemes/Intellectual_Property_Rights/National_IPR_Policy_12.05.2016.pdf)सारांश पढना हो तो Press Information Bureau की वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध है http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=145338
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